"रजनीश": अवतरणों में अंतर

New page: ेमें अमीर आदमी का गुरू हूँ यथार्थवादी बनो: चम्त्कार की योजना बनाओ तुम ...
 
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पंक्ति १:
यदि तुम्हारे ह्रदय के तार मुझसे जुड़ गए हैं तो अनंतककाल तक आवाज़ देता रहूँगा
ेमें अमीर आदमी का गुरू हूँ
 
यथार्थवादी बनो: चम्त्कार की योजना बनाओ
पंक्ति ७:
जब तुम नही होगे ,तब तुम पहली बार होगे
 
मसीहा को मरे जितना समय हो जाता है कर्मकांड उतना ही परबलप्रबल हो जाता है ,
अगर आज बुध जीवीतबुद्ध जीवित होते तो तुम उन्हें पसंद न करते
 
मेरी सारी शिक्शाशिक्षा दो शब्दो की है परेमप्रेम और धयानध्यान
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