"दया": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ९:
* ''सर्वे वेदा न तत् कुर्युः सर्वे यज्ञाश्च भारत ।
: ''सर्वे तीर्थाभिषेकाश्च तत् कुर्यात् प्राणिनां दया ॥
: हे भारत ! सब वेद, सब यज्ञ, सब तीर्थ, सब अभिषेक – जो नहि कर सकता है, वह (भी) प्राणियों पर दया तो कर हि सकता है ।
 
* ''दयाहीनं निष्फलं स्यान्नास्ति धर्मस्तु तत्र हि ।
: ''एते वेदा अवेदाः स्यु र्दयास्युर्दया यत्र न विद्यते ॥
: दयाहीन काम निष्फल है, उस में धर्म नहिनहीं होता। जहाँ दया न हो, वहाँ वेद भी अवेद बनते हैं ।हैं।
 
* ''अहिंसा लक्षणो धर्मोऽधर्मश्च प्राणिनां वधः ।
पंक्ति ३३:
* ''धर्मो जीवदयातुल्यो न क्वापि जगतीतले ।
: ''तस्मात् सर्वप्रयत्नेन कार्या जीवदयाऽङ्गिभिः ॥
: इस दुनिया में जीवदया के तुल्य धर्म इतर कहीं भी नहि । अर्थात् आपने सर्व प्रयत्न द्वारा जीवदया करनी चाहिए।
 
* ''दयां विना देव गुरुक्रमार्चाः
पंक्ति ४२:
 
* दया सबसे बड़ा धर्म है। -- [[महाभारत]]
 
* दया दोहरी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। -- [[शेक्सपियर]]
 
* जहाँ दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप।
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* दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। -- [[प्रेमचन्द]]
 
* दया दोहरी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। -- [[शेक्सपियर]]
 
* दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। -- जूलिया कार्नी
"https://hi.wikiquote.org/wiki/दया" से प्राप्त