"दया": अवतरणों में अंतर
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* ''संसारे मानुष्यं सारं मानुष्ये च कौलीन्यम् ।
: ''कौलिन्ये धर्मित्वं धर्मित्वे चापि सदयत्वम् ॥
: संसार में मनुष्यत्व, मनुष्यत्व में खानदानी, खानदानी में धर्मिष्टत्व, और धर्मिष्टत्व में दया का होना, सार (रुप) है ।
* ''न सा दीक्षा न सा भिक्षा न तद्दानं न तत्तपः ।
: ''न तद् ध्यानं न तद् मौनं दया यत्र न विद्यते ॥
: ''दया के बगैर दीक्षा, भिक्षा, दान, तप, ध्यान, और मौन सब निरर्थक है ।
: ''सर्वे तीर्थाभिषेकाश्च तत् कुर्यात् प्राणिनां दया ॥
:हे भारत ! सब वेद, सब यज्ञ, सब तीर्थ, सब अभिषेक – जो नहि कर सकता है, वह (भी) प्राणियों पर दया तो कर हि सकता है ।
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* दयालुता का सबसे छोटा कार्य सबसे बड़े इरादे से अधिक मूल्यवान है। -- खलील जिब्रान
== इन्हें भी देखें ==
* [[धर्म]]
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