"स्त्री": अवतरणों में अंतर

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* ''जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।'' -- वाल्मीकि रामायण
: जननी (माँ) और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग से भी महान हैं।
 
* अमिय गारि गारेउ गरल, नारी करि करतार।
: प्रेम बैर की जननि युग, जानहिं बुध न गँवार॥ -- तुलसीदास
: भगवान् ने स्त्री को अमृत और प्रेम दोनों में सानकर बनाया है। स्त्री वैर और प्रेम दोनों की जननी है, इस बात को बुद्धिमान् पुरुष जानते हैं किंतु गँवार नहीं।
 
* किसी को भी मत कहने दो कि तुम कमजोर हो क्योंकि तुम एक औरत हो।