"दया": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १:
: ''कौलिन्ये धर्मित्वं धर्मित्वे चापि सदयत्वम् ॥
:संसार में मनुष्यत्व, मनुष्यत्व में खानदानी, खानदानी में धर्मिष्टत्व, और धर्मिष्टत्व में दया का होना, सार (रुप) है ।
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