"आरम्भ": अवतरणों में अंतर

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* ''शुभस्य शीघ्रम्'' (शुभ कार्य शीघ्रातशीघ्र आरम्भ करना चाहिये।)
 
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* ''प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
: ''प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्याः ।
: ''विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
: ''प्रारभ्य तूत्त्मजना न परित्यजन्ति ॥ -- मुद्राराक्षस तथा पञ्चतन्त्र (काकोलुकीयम्)
: नीच लोग विघ्न के भय से कोई कार्य नहीं करते ; मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ करके विघ्न पड़ने पर बीच में में ही छोड़ देते हैं ; परन्तु उत्तम लोग बार-बार विघ्न पड़ने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को बीच में नहीं छोड़ते।
"https://hi.wikiquote.org/wiki/आरम्भ" से प्राप्त