"वाणी": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ९:
: ''तस्मात् तदेव वक्तव्यं , वचने का दरिद्रता ॥
: ( प्रिय वाणी बोलने से सभी जन्तु खुश हो जाते है । इसलिये मीठी वाणी ही बोलनी चाहिये , वाणी में क्या दरिद्रता ? )
* ''सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं।
: ''प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥
: सत्य बोलें, प्रिय बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें। यह सनातन रीति है।
* तुलसी मीठे बचन तें , सुख उपजत चहुँ ओर ।
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