"रबिन्द्रनाथ टैगोर": अवतरणों में अंतर

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* आयु सोचती है, जवानी करती है।
* ''पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।करते''।
* मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है
* जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।
* मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं।
* '''मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।है'''।
* हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है
 
* '''"मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।" - रबीन्द्रनाथ ठाकुर '''
* "जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं। " - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
* "'''वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते।"- रबीन्द्रनाथ ठाकुर '''
* "मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है." - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
* "मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती." - रबीन्द्रनाथ ठाकुर