"दर्शन": अवतरणों में अंतर

'* प्रमाण प्रमेय संशय प्रयोजन दृष्टान्त सिद्धान्तावयव तर्क निर्णय वाद जल्प वितण्डा हेत्वाभास च्छल जति निग्रहस्थानानां तत्त्वज्ञानान्निश्श्रेयसाधिगमः ॥-- अक्षपा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
 
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* ''प्रमाण प्रमेय संशय प्रयोजन दृष्टान्त सिद्धान्तावयव तर्क निर्णय वाद जल्प वितण्डा हेत्वाभास च्छल जति निग्रहस्थानानां तत्त्वज्ञानान्निश्श्रेयसाधिगमः ॥'' -- अक्षपाद गौतम, न्यायसूत्र
: अर्थ : प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धान्त, अयवय, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति और निग्रहस्थान के तत्वज्ञान से मुक्ति प्राप्त होती है।
 
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:* -- पीटर ए. एंजेल्स (1981) डिक्शनरी टू फिलॉसफी न्यूयॉर्क: बार्न्स एंड नोबल बुक्स, पी. 211.
पीटर एंजेल्स ने दर्शन के छह अलग-अलग पक्ष बताये। पहले वह कहते हैं कि दर्शन के अर्थ उतने ही विविध हैं जितने कि दार्शनिक। फिर उन्होंने "प्रयासों" की पांच "आधारभूत परिभाषाओं" की सूची दी है।
 
==इन्हें भी देखें==
* [[भारतीय दर्शन]]
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