"प्रकृति": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ७:
* अपनी जड़ों की गहराइयों में सभी फूल प्रकाश रखते हैं। -- थीओडोर रोएथ्के
* अपनी पहली सांस लेने के पहले के नौ महीने छोड़ दिया जाए तो इंसान अपने काम इतने अच्छे ढंग से नहीं करता जितना कि एक पेड़ करता
* आशा ही एक ऐसी मधुमक्खी है जो बिना फूलों के शहद बनाती है। -- राबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल
पंक्ति १९:
* कुदरत को पढ़िए, कुदरत से प्रेम कीजिए उसके करीब रहिए। आप कभी निराश नहीं होंगे। -- फ्रैंक ल्योड राइट
* केटरपिलर जिसे दुनिया का अंत कहता है
* केवल जी लेना काफी नहीं है… इंसान को धूप, आजादी और एक नन्हा सा फूल भी चाहिए। -- हैंस क्रिस्टियन एंडरसन (डेनमार्क के लेखक)
पंक्ति ३९:
* धरती माता की हंसी फूल बनकर खिलती है। -- राल्फ वाल्डो एमर्सन
* पक्षी तूफ़ान गुजरने के बाद भी गाना गाते हैं; क्यों नहीं लोग भी जो कुछ बचा है उसी में प्रसन्न रहने के लिए खुद को स्वतंत्र महसूस करते
* पतझड़ एक दूसरा बसंत ही तो है, जिसमें सारे पत्ते फूल बन जाते हैं। -- अल्बर्ट कामू (फ्रेंच विचारक)
पंक्ति ६१:
* प्रकृति को गहरी नजर से देखिए, तभी आप सब कुछ बेहतर समझ पाएंगे! -- अल्बर्ट आइंस्टीन (महान वैज्ञानिक)
* प्रकृति माँ इस साल भले माफ़ कर दें
* प्रकृति में गहराई से देखिये, और आप हर एक चीज बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। -- ऐल्बर्ट आइन्स्टाइन
पंक्ति ७१:
* फूल सबसे प्यारी चीजें हैं जिसे भगवान ने बनाया पर उसमे आत्मा डालना भूल गए। -- हेनरी वार्ड बीचेर
* बसंत; प्रकृति का कहने का तरीका है कि
* बहुत सारे लोग सर पे बारिश की बूँद गिरने पर उसे कोसते हैं, और ये नहीं जानते की वही प्रचुरता में भूख मिटाने में वाली चीजें लेकर आती है। -- सेंट बैसिल
पंक्ति ९९:
* वो जो मधुमक्खी के छत्ते के लिए ठीक नहीं है वो मधुमक्खी के लिए भी अच्छा नहीं हो सकता। -- मार्कस औरेलियस
* वो सबसे धनवान है जो कम से कम में संतुष्ट है
* सभी चीजें कृत्रिम हैं, क्योंकि प्रकृति ईश्वर की कला है। -- थोमस ब्राउन
पंक्ति ११४:
==इन्हें भी देखें==
*[[पर्यावरण]]
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