"स्वास्थ्य": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति ७:
: जो हितकारी वस्तुएँ ही खाता है, भूख से कम खाता है, न्याय-नीति से कमाया हुआ खाता है - वह सुखी रहता है।
* ''समदोषः समाग्निश्च समधातु
: ''प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थः इत्यभिधीयते ॥ -- सुश्रुतसंहिता, सूत्रस्थान
: जिस व्यक्ति के दोष (वात, कफ और पित्त) समान हों, अग्नि सम हो, सात धातुएँ भी सम हों, तथा मल भी सम हो, शरीर की सभी क्रियाएँ समान रूप से कार्यरत हों, इसके अलावा मन, सभी इंद्रियाँ तथा आत्मा प्रसन्न हो, वह मनुष्य स्वस्थ कहलाता है। यहाँ 'सम' का अर्थ 'संतुलित' ( न बहुत अधिक न बहुत कम) है।
|