"स्वास्थ्य": अवतरणों में अंतर

'* ''शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् '' -- कालिदास , कुमारसम्भवम् में : शरीर ही सभी धर्मों (कर्तव्यों) को पूरा करने का सबसे पहला साधन है। * '' कोऽरुक ? हितभुक, मितभुक, ऋतभुक।'' -- चरकसं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
 
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: शरीर ही सभी धर्मों (कर्तव्यों) को पूरा करने का सबसे पहला साधन है।
 
* '' कोऽरुक कोऽरुक कोऽरुक? ''
: '' हितभुक, मितभुक, ऋतभुक।'' -- चरकसंहिता
: कौन निरोग रहता है? कौन निरोग रहता है? कौन निरोग रहता है?
: जो हितकारी वस्तुएँ ही खाता है, भूख से कम खाता है, न्याय-नीति से कमाया हुआ खाता है - वह सुखी रहता है।
 
* ''समदोषः समाग्निश्च समधातु मलक्रियाः।
: ''प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थः इत्यभिधीयते ॥
: जिस व्यक्ति के दोष (वात, कफ और पित्त) समान हों, अग्नि सम हो, सात धातुएँ भी सम हों, तथा मल भी सम हो, शरीर की सभी क्रियाएँ समान रूप से कार्यरत हों, इसके अलावा मन, सभी इंद्रियाँ तथा आत्मा प्रसन्न हो, वह मनुष्य स्वस्थ कहलाता है। यहाँ 'सम' का अर्थ 'संतुलित' ( न बहुत अधिक न बहुत कम) है।
 
* स्वस्थ होना हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार हैं। स्वास्थ ही सबसे बड़ी सम्पति है और सबसे अच्छा रिश्ता है। -- गौतम बुद्ध