"उत्साह": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) '* ''उत्साहसम्पन्नं अधीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वासक्तं । : ''शूरं कृतज्ञं दृढ़सौहृदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः ॥ : जो उत्साह से भरा हुआ है, आलसी नहीं ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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: ''शूरं कृतज्ञं दृढ़सौहृदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः ॥
: जो उत्साह से भरा हुआ है, आलसी नहीं है, कार्य की विधि को जानता है, व्यसनों से से मुक्त है, पराक्रमी है, कृतज्ञ और लोगों की भलाई चाहने वाला है उसके पास लक्ष्मी (धन-संपदा) स्वयं चलकर निवास करने आती हैं।
* ''यत्रोत्साहसमारम्भो यत्रालस्य विहीनता ।
: ''नयविक्रम संयोगस्तत्र श्रीरचला ध्रुवम् ॥
: जहाँ उत्साह है, आरम्भ (पहल) है, और आलस्य नहीं है, नय (नीति) और पराक्रम का समुचित समन्वय है, वहाँ से लक्ष्मी कहीं और नहीं जाती, यह निश्चित है।
* ''उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम् ।
: ''सोत्साहस्य च लोकेषु न किञ्चिदपि दुर्लभम् ॥ -- वाल्मीकि रामायण
: हे आर्य, उत्साह बलवान है, उत्साह से बड़ा बल कोई नहीं है। जिसके पास उत्साह है उसको संसर में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
* जिनमें उत्साह नहीं होता, मित्र भी उनके दुश्मन हो जाते हैं। जिनमें उत्साह हो, शत्रु भी उनकी मित्रता स्वीकार करते हैं। -- कौटिल्य
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* अधिकांश अवसरों पर साहस को परीक्षा द्वारा जीवित रखना होता है। संतुलित उत्साह सफलता की कुंजी है। -- अलफांसो
* भय का जो स्थान दुःख वर्ग में है, उत्साह का वही स्थान आनन्द वर्ग में है। --
* बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। -- इमर्सन
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* दुर्लभ कुछ भी नहीं, यदि उत्साह का साथ न छोड़ा जाए। -- वाल्मीकि
* उत्साह आदमी की मान्यशीलता का पैमाना हैं। --
* उत्साहित होने का नाटक कीजिये और आप उत्साहित हो जायेंगे। -- डेल कार्नेगी
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