"वेद": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति ४०८:
* वेदों के आधार पर ही इस ग्रन्थ को बनाया गया है। -- यन्त्रसर्वस्व के ‘वैमानिक-प्रकरण’ में
* जब कभी भी मैने वेदों का कोई भाग पढ़ा है, मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि कोई अलौकिक और अनजान प्रकाश मुझे प्रकाशित कर रहा है। वेदों की महान शिक्षा में सम्प्रदायवाद का कोई स्पर्श नहीं है। यह युगों और सभी राष्ट्रीयताओं की है। वेद महान ज्ञान की प्राप्ति के राजपथ हैं। जब मैं इस राजपथ पर होता हूँ तब मुझे लगता है कि किसी ग्रीष्म की रात्रि को झिलमिलाते हुए
* वेद ज्ञान की पुस्तक है। इसमें प्रकृति, धर्म, प्रार्थना, सदाचार आदि विषयों की पुस्तकें सम्मिलित हैं। वेद का अर्थ है ज्ञान और वस्तुतः वेद ज्ञान-विज्ञान से ओत-प्रोत हैं। -- प्रसिद्ध पारसी विद्वान् फर्दून दादा चानजी
|