"महाभारत": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति २:
-----
* ''निर्वनो वध्यते व्याघ्रो निर्व्याघ्रं छिद्यते वनम् ।
: ''तस्माद्व्याघ्रो वनं रक्षेद्वनं व्याघ्रं च पालयेत् ॥
: अर्थ - बिना वन के व्याघ्र (वाघ) का वध हो जाता है, (और) व्याघ्ररहित वन भी काट दिया जाता है। इसलिए व्याघ्र को चाहिये कि वह वन की रक्षा करे और वन को चाहिए कि वह (अपने अन्दर) व्याघ्र को पाले।
* अत्यन्त लोभी का धन तथा अधिक आसक्ति रखनेवाले का काम - ये दोनों ही धर्म को हानि पहुंचाते हैं।
|