"मित्र": अवतरणों में अंतर
दो या अधिक व्यक्तियों के बीच पारस्परिक लगाव का संबंध
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) '* यानि कानि च मित्राणि कृतानि शतानि च । : पश्य मूषकमित्रेण कपोताः मुक्तबन्धनाः ॥ -- (पंचतन्त्र) : अर्थ : जो कोई भी हों , सैकड़ो मित्र बनाने चाहिये । देखो, (जैसे कि) मित्र चूहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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२२:५६, ५ जनवरी २०२२ का अवतरण
- यानि कानि च मित्राणि कृतानि शतानि च ।
- पश्य मूषकमित्रेण कपोताः मुक्तबन्धनाः ॥ -- (पंचतन्त्र)
- अर्थ : जो कोई भी हों , सैकड़ो मित्र बनाने चाहिये । देखो, (जैसे कि) मित्र चूहे की सहायता से कबूतर (जाल के) बन्धन से मुक्त हो गये थे (वैसे ही अधिकाधिक मित्र रहने पर मुसीबत में कोई न कोई मित्र काम आ सकता है !
- आवश्यकता पड़ने पर जो मित्रता निभाता है वही सच्चा मित्र है।