"पुस्तक": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति १:
[[File:Old books.jpg|thumb|right|]]
 
: ''विषयश्चाधिकारी च सम्बन्धश्च प्रयोजनम् ।
: ''अनुबन्ध विना ग्रन्थे मङगलं नैव शस्यते॥ (श्रीमद्भगवद्गीता)
 
: ''ग्रन्थ का विषय, उसका प्रयोजन, उसका अधिकारी और प्रतिपाद्य–प्रतिपादक का सम्बन्ध ( इन चारों को ‘अनुबन्धचतुष्टय’ नाम से कहा जाता है) ये अनुबन्ध जिस ग्रन्थ में न हों उसका मङ्गल नहीं होता।
 
* अच्छी पुस्तकें जीवन्त देव प्रतिमाएँ हैं। उनकी आराधना से तत्काल प्रकाश और उल्लास मिलता है। – पंडित श्रीराम शर्मा 'आचार्य'