"पुस्तक": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) '* अच्छी पुस्तकें जीवन्त देव प्रतिमाएँ हैं। उनकी आराधना से तत्काल प्रकाश और उल्लास मिलता है। – पंडित श्रीराम शर्मा 'आचार्य' * किताबों के बिना कमरा जैसे बिना आत्मा का शर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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* अच्छी पुस्तकें जीवन्त देव प्रतिमाएँ हैं। उनकी आराधना से तत्काल प्रकाश और उल्लास मिलता है। – पंडित श्रीराम शर्मा 'आचार्य'
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* यदि आप वही किताब पढ़ते हो जिसे हर कोई पढ़ता है, तो आप केवल वैसा ही सोच पाएंगे जैसा हर कोई सोचता है। -- हारुकी मुराकामी
* कोई व्यक्ति, चाहे पुरुष हो या महिला, जिसे एक अच्छा उपन्यास पढने में आनंद ना आये, वो निश्चित रूप से बहुत मूर्ख होगा।
* अच्छे मित्र, अच्छी किताबें, और साफ़ अंतःकरण: यही आदर्श जीवन है।
* जब पढने की मजबूरी ना हो तब आप क्या पढ़ते हैं यही निर्धारित करेगा कि आप जब आपके बस में ना हो तब आप क्या बनेंगे।
* मुझे टेलीविज़न बहुत शिक्षित करने वाला लगता ही. हर बार जब कोई इसे चलाता है, मैं दूसरे रूम में चला जाता हूँ और एक किताब पढता हूँ.
* यदि कोई एक ही किताब बार-बार पढने का आनंद ना उठा पाए तो उसे पढने का कोई फायदा नहीं है।
==बाहरी कडियाँ==
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