"गुण": अवतरणों में अंतर

'* सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ते (सभी गुण स्वर्ण पर ही आश्रय पाते हैं।) -- भर्तृहरि * वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खाः शतान्यपि (एक ही गुणी पुत्र श्रेष्ठ है, सैकड़ों मूर्ख न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
 
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* सज्जनों के मन घोड़े से गुणों के कारण फूलों की भांति ग्रहण करने योग्य हो जाते हैं। -- बाणभट्ट
 
* सद्गुण, काअपना पुरूस्कारही सम्मानपुरस्कार है। (Virtue is its own reward.) -- सिसरो
 
* सद्गुण ही ज्ञान हैं। -- सुकरात
 
* सद्गुण, अपना ही पुरस्कार है। (Virtue is its own reward.)- शेक्सपीयर
 
* सभी लोगों के स्वभाव की ही परीक्षा की जाती है, गुणों की नहीं। सब गुणों की अपेक्षा स्वभाव ही सिर पर चढ़ा रहता है (क्योंकि वही सर्वोपरि है)। -- हितोपदेश
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