"आयुर्वेद": अवतरणों में अंतर
भारतीय मूल की पारम्परिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) ' * आयुर्वेद मानता है कि जो भी पदार्थ कोई व्यक्ति खात...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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२३:४१, १९ मई २०२१ का अवतरण
- आयुर्वेद मानता है कि जो भी पदार्थ कोई व्यक्ति खाता है वह दवा और जहर बन सकता है। यह इस पर निर्भर करता है कि कौन इसे खा रहा है, वह क्या खा रहा है और किस मात्रा में है।
- एक आयुर्वेदिक शिक्षार्थी के रूप में, मेरा मानना है कि कैंसर जैसी बीमारियों का प्रचलन आज अधिक बढ़ रहा है क्योंकि हम एक समाज के रूप में अपने दैनिक जीवन की परिस्थितियों के प्रति गलत रवैया अपना रहे हैं।
- जब आहार गलत है, तो दवा का कोई फायदा नहीं है; जब आहार सही है, तो दवा की कोई आवश्यकता नहीं है।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए जो आयुर्वेदिक मार्ग है उसमे दो सरल कदम शामिल हैं, कम करना, अधिक होना । -- Shubhra Krishan
- अपने परमानन्द का अनुसरण करना और खुशबु, रंग एवं स्वाद के रहस्य में गोता लगाना; प्रकृति माँ की शानदार विविधता में खो जाना, और भीतरी चिन्हों का अनुगमन करके जानना कि हम सचमुच कौन हैं – यही आयुर्वेदिक पाकशास्त्र का विज्ञान है। -- Prana Gogia
- असली दवा जमीन से आती है, लैब से नहीं।
- आप घर या अन्य जगहों पर प्रतिदिन अपने यौन जीवन का आनंद लेकर और योग कक्षाओं में भाग लेकर एक वास्तविक योगी नहीं बन सकते।
- आयुर्वेद का मानना है कि शरीर की शक्तियां स्वास्थ्य और रोगों से लड़ने की क्षमता हैं। इसे बढ़ाने के लिए खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है।
- आयुर्वेद का यही मकसद है कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बरकरार रखा जाए और बीमार व्यक्ति को ठीक कर दिया जाए।
- आयुर्वेद की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके उपचार से हमेशा लाभ होते हैं न कि नुकसान।
- आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में इतना सक्षम होना चाहिए कि हम रोगों को रोक सके।
- आयुर्वेद के बारे में एक बहुत अच्छी बात ये है कि इसके उपचार से हमेशा साइड बेनिफिट्स होते हैं, साइड इफेक्ट्स नहीं। -- Shubhra Krishan
- आयुर्वेद केवल पोषण या जड़ी-बूटी के बारे में नहीं है, इसमें निदान के लिए एक अनूठा उपकरण है, मानव संविधान को समझने का निदान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न है। प्रत्येक में एक अद्वितीय चयापचय प्रणाली होती है।
- आयुर्वेद जैसा कि नाम में निहित है (‘आयु’: “जीवन” और ‘वेद’: “ज्ञान”) स्वस्थ्य रहने का ज्ञान है और सिर्फ बीमारी के इलाज तक सिमित नहीं है।
- आयुर्वेद में सिद्धांत है कि कुछ भी भोजन, दवा, या ज़हर हो सकता है, निर्भर करता है कि कौन खा रहा है, क्या खा रहा है, और कितना खा रहा है। इस सन्दर्भ में एक प्रचलित कहावत है: “एक आदमी का खाना दूसरे आदमी का ज़हर है। -- Sebastian Pole
- आयुर्वेद योग की सिस्टर फिलॉसफी है, ये जीवन या दीर्घायु होने का विज्ञान है और ये हमें प्रकृति की शक्तियों, चक्र और तत्वों के बारे में भी सिखाता है। -- Christy Turlington
- आयुर्वेद योगा के साथ की ही पद्धति है। यह हमें जीवन को बढ़ाने के बारे में बताता है और प्रकृति के साथ-साथ प्रकृति के उत्पादों के बारे में भी बताता है।
- आयुर्वेद सिखाता है कि रोगी एक जीवित पुस्तक है, और उसकी शारीरिक भलाई को समझने के लिए, इस पुस्तक को दैनिक रूप से पढ़ा जाना चाहिए।
- आयुर्वेद सिखाता है कि हर कोई खुद को स्वस्थ बनाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा से संपन्न है।
- आयुर्वेद हमें “जैसा है” वैसे प्यार करना सिखाता है- ना कि जैसा हम सोचते हैं लोग “होने चाहिएं। -- Lissa
- आयुर्वेद हमें हमारी सहज-प्रकृति को संजोना सिखाता है- “हम जो हैं उससे प्रेम करना, उसका सम्मान करना”, वैसे नही जैसा लोग सोचते हैं या कहते हैं, “हमे क्या होना चाहिए। -- Prana Gogia
- आयुर्वेद, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है (‘आयु‘: “जीवन और ‘वेद‘: “ज्ञान“) स्वस्थ जीवन का ज्ञान है और यह एकमात्र बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं है।
- एक आयुर्वेद चिकित्सक ने कहा कि अगर आपको बुखार है, तो दवा न लें क्योंकि यह संकेत है कि हमारा शरीर उपचार कर रहा है।
- कोई भी आदमी अपने मन का गुलाम नहीं होना चाहिए, उसे अपने मन को नियंत्रण में रखना चाहिए।
- कोई भी दवा अन-हेल्दी लिविंग की क्षतिपूर्ति नहीं कर सकती है। -- Renu Chaudhary
- क्योंकि हम अपने अंदरुनी शरीर को स्क्रब नहीं कर सकते हमें अपने ऊतकों, अंगों, और मन को शुद्ध करने कुछ उपाय सीखने होंगे। ये आयुर्वेद की कला है। -- Sebastian
- जब आहार गलत हो, दवा किसी काम की नहीं है; जब आहार सही हो, दवा की कोई ज़रुरत नहीं है। -- Ayurvedic proverb
- जीवन केवल जीवित रहना नहीं है, बल्कि अच्छा होना है।
- जो कोई भी यह मानता है कि हर किसी के लिए कुछ भी अनुकूल हो सकता है वह एक महान मूर्ख है, क्योंकि दवा का अभ्यास सामान्य रूप से मानव जाति पर नहीं, बल्कि विशेष रूप से प्रत्येक व्यक्ति पर किया जाता है।
- डर एक ऐसी बीमारी है जो आत्मा को आराम देती है, ठीक उसी तरह जैसे शारीरिक बीमारी शरीर को आराम देती है।
- दबा हुआ भय वात को विचलित करेगा, क्रोध अधिक पित्त पैदा करेगा, और ईर्ष्या, अभिमान और आसक्ति से काम प्रभावित होगा।
- धातु के साथ किसी भी छेड़छाड़ को बीमारी कहा जाता है। दर्द बीमारी का संकेत है और खुशी स्वास्थ्य है।
- प्रत्येक उंगली का एक विशिष्ट अंग के साथ संबंध होता है। अंगूठा मस्तिष्क और खोपड़ी से जुड़ा होता है, और तर्जनी (index finger) फेफड़े से जुड़ी होती है। मध्यमा उंगली छोटी आंत से जुड़ी होती है, अनामिका गुर्दे से जुड़ी होती है, और छोटी उंगली हृदय से जुड़ी होती है।
- भोजन की मात्रा का भी बहुत महत्व है। पेट का एक तिहाई भोजन से भरा होना चाहिए, एक तिहाई पानी से भरा होना चाहिए और एक तिहाई हवा से भरा होना चाहिए। एक बार में खाया जाने वाला भोजन दो मुट्ठी भर के बराबर होना चाहिए।
- योग का विज्ञान और आयुर्वेद; चिकित्सा विज्ञान की तुलना में सूक्ष्म हैं, क्योंकि अकसर चिकित्सा विज्ञान सांख्यिकीय गड़बड़ी का शिकार हो जाता है
- शारीरिक विचार जिन्हें करने से पहले सोचना चाहिए, उनमें गुस्सा, सेक्स और उत्पीड़न शामिल हैं।
- सभी योगाभ्यास केवल मन के लिए हैं। यदि मन अच्छी स्थिति में है, तो शरीर अच्छा रहेगा।
- समय बदल रहा है और न सिर्फ भारत के नीति निर्माता, बल्कि पूरी दुनिया आयुर्वेद के महत्व को समझ रही है। कुछ साल पहले कौन सोच सकता था कि महानगरीय संस्कृति में पले-बढे लोग निकट भविष्य में कार्बोनेटेड शीतल पेय से अधिक लौकी का रस या करौंदे का रस पसंद करेंगे। -- Acharya Balkrishna
- सामान्यतया, आयुर्वेद चावल, गेहूं, जौ, मूंग दाल, शतावरी, अंगूर, अनार, अदरक, घी (मक्खन), क्रीम दूध और शहद को सबसे अधिक लाभकारी खाद्य पदार्थ मानता है। -- Sebastian Pole
- हमारा जीवन देवताओं की गोद में नहीं है, बल्कि हमारे रसोइयों की गोद में है।
- हर्बल रेमेडी हो या मालिश या व्यायाम या ध्यान, ये सभी केवल हमारे शरीर की मरम्मत कर सकते हैं लेकिन अगर हम अपने शरीर को नष्ट होने से बचाना चाहते हैं तो हमें एक अच्छा आहार लेने की आवश्यकता है।