"गौतम बुद्ध": अवतरणों में अंतर

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* अपना उद्धार स्वयं ही करें दूसरों पर निर्भर न रहें।
* क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।
 
* अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।
* ईर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।
 
* बंधन ही सभी दुखों की जड़ है।
 
* एक पल एक दिन को बदल सकता है, एक दिन एक जीवन को बदल सकता है, और एक जीवन इस दुनिया को बदल सकता है।
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* अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है।
 
* क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।
 
* ईर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।
 
* एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।
 
* निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारों से मुक्त रहते हैं, वही जीवन में शांति पाते हैं।
 
* अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।
 
* जिस प्रकार लापरवाह रहने पर घास जैसी नरम चीज की धार भी हाथ को घायल कर देती है, उसी तरह से धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानने में हुई गलती आपको नर्क के दरवाजे पर पहुंचा सकती है।
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* झरना बहुत शोर मचाता है, लेकिन सागर गहरा और शांत होता है।
 
* जिस काम को करने में वर्तमान में तो दर्द हो लेकिन भविष्य में खुशी, उसे करने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है।
 
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* उदार हृदय, दयालु वाणी, और सेवा व करुणा का जीवन वे बातें हैं जो मानवता का नवीनीकरण करती हैं।
 
* शक की आदत सबसे खतरनाक है। शक लोगों को अलग कर देता है। यह दो अच्छे दोस्तों को और किसी भी अच्छे रिश्ते को बरबाद कर देता है।
* बंधन ही सभी दुखों की जड़ है।
 
* मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर होता है।
 
* अगर आपको अच्छा साथी ना मिले तो अकेले चलें, उस हाथी की तरह जोकि अकेले ही जंगल में घूमता है। अकेले रहना कहीं अच्छा है बजाय उन लोगों के साथ के जोकि आप की प्रगति में बाधा बनते हैं।
 
* तीन चीजें लंबे समय तक छिप नहीं सकतीं: सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
 
* जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के।
 
* शक की आदत सबसे खतरनाक है। शक लोगों को अलग कर देता है। यह दो अच्छे दोस्तों को और किसी भी अच्छे रिश्ते को बरबाद कर देता है।
 
* शब्दों के भीतर नष्ट करने और स्वस्थ करने दोनों ही शक्तियां होती हैं। जब शब्द सच्चे और दयालु होते हैं तो वे हमारे जीवन को बदल सकते हैं।
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* जिस तरह से तूफ़ान एक मजबूत पत्थर को हिला नहीं पाता, उसी तरह से महान व्यक्ति, तारीफ़ या आलोचना से प्रभावित नहीं होते।
 
* आकाश में पूरब और पश्चिम का कोई भेद नहीं है, लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और फिर यह सच है ऐसा विश्वास करने लगते हैं।
* अगर आपको अच्छा साथी ना मिले तो अकेले चलें, उस हाथी की तरह जोकि अकेले ही जंगल में घूमता है। अकेले रहना कहीं अच्छा है बजाय उन लोगों के साथ के जोकि आप की प्रगति में बाधा बनते हैं।
 
* आपका शरीर अनमोल है। यह जाग्रत होने के लिए हमारा वाहन है। इसका ध्यान रखें।
 
* विचलित मन वाले व्यक्ति को मौत उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से अचानक आई बाढ़ में गांव के सोते हुए लोग बह जाते हैं।
 
* सच्चा प्यार समझदारी से ही पैदा होता है।
 
* हर दिन नया दिन होता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बीता हुआ कल कितना मुश्किल था। आप हमेशा एक नई शुरुआत कर सकते हैं।
 
* एक विचारहीन मनुष्य की प्यास अमर बेल की तरह बढ़ती है। वह एक जीवन से दुसरे जीवन की तरफ उसी तरह से भागता है जैसे जंगल में एक बंदर फलों के लिए एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर भागता रहता है।
 
* इंसान को एक बंधन मुक्त मन का निर्माण करना चाहिए जो ऊपर और नीचे और चारों ओर फैला हुआ हो, वह भी बिना किसी बाधा के, बिना किसी दुश्मन के, बिना किसी बदले की भावना के।
 
* अगर आपका चित्त् शांत है, तभी आप इस ब्रह्मांड के प्रवाह को सुन पाएंगे, इसकी लय ताल को महसूस कर पाएंगे। खुशी इसके आगे रहती है और ध्यान इसकी चाबी है।
 
* अगर आप उन चीजों की कद्र नहीं करते जो आपके पास हैं, तो फिर आपको खुशी कभी भी नहीं मिलेगी।
 
* एक अनुशासनहीन मन जितना अवज्ञाकारी कुछ भी नहीं होता और एक अनुशासित मन जितना आज्ञाकारी भी कुछ भी नहीं है।सच्चाई को अपनी जमीन बनाएं, सच्चाई को अपना घर बनाएं। क्योंकि दुनिया में इससे बड़ा कोई घर नहीं है।
 
* सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं। बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें।
 
* आपका काम है अपनी पसंद के काम को खोजना। उसे खोजें और फिर उस काम में खुद को पूरी तरह से लगा दें। यही सफलता का मार्ग है।
 
* स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ी संपत्ति और वफादारी सबसे अच्छा रिश्ता है।
 
* अगर आप किसी दूसरे के लिए दिया जलाते हैं तो यह आपके रास्ते को भी रौशन कर देता है।
 
* आपका बड़े से बड़ा दुश्मन भी आपको उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जितना नुकसान आपके अनियंत्रित विचार आपको पहुंचाते हैं।
 
* आप खुद अपने प्यार और स्नेह के उतने ही हकदार हैं जितना इस दुनिया में कोई भी अन्य व्यक्ति है।
 
* सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
 
* सभी बुराइयों से दूर रहने के लिए, अच्छाई का विकास कीजिए और अपने मन में अच्छे विचार रखिये-बुद्ध आपसे सिर्फ यही कहता है।
 
* आज हम जो करते हैं जीवन में वही सबसे ज्यादा मायने रखता है।
 
* जो व्यक्ति थोड़े में ही खुश रहता है सबसे अधिक खुशी उसी के पास होती है।
 
* सत्य के मार्ग पर चलते हुए कोई व्यक्ति दो गलतियां कर सकता है। एक, पूरा रास्ता तय न करना और दूसरा, इसकी शुरुआत भी न करना।
 
* जब तक आपके मन में नाराजगी के विचार पोषित होते रहेंगे तब तक आपका क्रोध भी बना रहेगा। लेकिन जैसे ही आप नाराजगी के विचररों को भुला देंगे वैसे ही आपका क्रोध भी गायब हो जाएगा।
 
* जो व्यक्ति विचलित करने वाले विचारों से मुक्त होते हैं, उन्हें शांति अवश्य प्राप्त होती है।
 
* चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?
 
* जिस व्यक्ति का मन शांत होता है, जो व्यक्ति बोलते और अपना काम करते समय शांत रहता है, वह वही व्यक्ति होता है जिसने सच को हासिल कर लिया है और जो दुःख-तकलीफों से मुक्त हो चुका है।
 
* जिस तरह एक ठोस चट्टान तूफान में भी स्थिर रहती है, वैसे ही बुद्धिमान व्यक्ति भी प्रशंसा या दोष से प्रभावित नहीं होते हैं।
 
* इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता। अगर आपकी एक इच्छा पूरी होती है, तो दूसरी इच्छा तुरंत जन्म ले लेती है।
 
* एक समझदार व्यक्ति अपने अंदर की कमियों को उसी तरह से दूर कर लेता है, जिस तरह से एक स्वर्णकार चांदी की अशुद्धियों को चुन-चुन कर, थोडा-थोडा करके और इस प्रक्रिया को बार-बार दोहरा कर दूर कर लेता है।
 
* उसने मेरा अपमान किया, मुझे कष्ट दिया, मुझे लूट लिया, जो व्यक्ति जीवन भर इन्हीं बातों को लेकर शिकायत करते रहते हैं, वे कभी भी चैन से नहीं रह पाते हैं। सुकून से वही व्यक्ति रहते हैं, जो खुद को इन बातों से ऊपर उठा लेते हैं।
 
* अगर थोड़े से आराम को छोड़ने से व्यक्ति एक बड़ी खुशी को देख पाता है, तो एक समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह थोड़े से आराम को छोड़कर बड़ी खुशी को हासिल करे।
 
* यदि आप समस्या का हल निकाल सकते, तो फिर चिंता क्यों? और यदि समस्या का कोई समाधान नहीं है, तो फिर चिंता करने का भी कोई फायदा ही नहीं।
 
* इस अंधी दुनिया में, मैं अमरता का नगाड़ा बजा रहा हूं।
 
* बुरे कार्य करने वाला व्यक्ति इस संसार में तो शोक मनाता ही है, वह अगले जनम में भी शोक मनाता है। वह दोनों में शोक मनाता है। जब वह अपने काम की बुराई देखता है तो वह दुःख में डूब जाता है।
 
* दुनिया नहीं जानती कि हम सभी का अंत यहीं पर होना है। लेकिन जो लोग इस सत्य को जानते हैं, उनके सारे झगड़े एक ही बार में खत्म हो जाते हैं।
 
* विश्वास के बिना आप कहीं भी नहीं पहुँच सकते, इसलिए अगर आप धर्म को पाना चाहते हैं तो विश्वास बहुत जरूरी है।
 
* अस्तित्व का पूरा रहस्य है डर से मुक्त हो जाना। कभी भी इस बात से ना डरें कि आपका क्या होगा। किसी पर भी निर्भर ना रहें। जिस वक्त आप सभी तरह की मदद को इनकार कर देते हैं, आप आजाद हो जाते हैं।
 
* सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए इंसान दो ही तरह की गलतियां कर सकता है, एक यह कि रास्ते पर आखिर तक ना चलना और दूसरा यह कि शुरुआत ही ना करना।
 
* जो व्यक्ति जीवन में केवल सुखों की तलाश करता है, जिसकी इंद्रियां अनियंत्रित हैं, जो खाने के लिए जीता है, वह आलसी है और कमजोर है। लालच उसको उसी प्रकार से गिराता है, जैसे कि तूफान एक कमजोर पेड़ को गिरा देता है।
 
* खुशी, अच्छे स्वास्थ्य और बीती बातों को भुला देने से ज्यादा कुछ नहीं है।
 
* जो व्यक्ति, क्रोधित होने पर अपने गुस्से को संभाल सकता है वह उस कुशल ड्राईवर की तरह है जोकि एक तेजी से भागती हुई गाडी को संभाल लेता है और जो ऐसा नहीं कर पाते, वे केवल अपनी सीट पर बैठे हुए दुर्घटना की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
 
* सारे बुरे कार्य मन के कारण ही होते हैं। अगर मन ही बदल जाए तो क्या बुरा कार्य हो सकता है?
 
* अगर व्यक्ति से कोई गलती हो जाती है, तो कोशिश करें कि उसे दोहराएं नहीं। उसमें आनन्द ढूंढने की कोशिश न करें, क्योंकि बुराई में डूबे रहना दुःख को न्योता देता है।
 
* जीभ एक तेज चाकू की तरह होती है, यह बिना खून निकाले ही मारती है।
 
* जिसका मन एकाग्र होता है वही चीजों को उनके सही स्वरूप में देख पाता है।
 
* किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, क्योंकि जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।
 
* हमें अपने द्वारा की गयी गल्तियों की सजा तुरंत भले न मिले, पर समय के साथ कभी न कभी अवश्य मिलती है।
 
* जिस तरह से एक तीर बेचने वाला अपने तीर को सीधा करता है, उसी तरह से एक समझदार व्यक्ति खुद को साध लेता है।
 
* व्यक्ति खुद ही अपना सबसे बड़ा रक्षक हो सकता है; और कौन उसकी रक्षा कर सकता है? अगर आपका खुद पर पूरा नियंत्रण है, तो आपको वह क्षमता हासिल होगी, जिसे बहुत ही कम लोग हासिल कर पाते हैं।
 
* शांतिप्रिय लोग आनंद का जीवन जीते हैं। उन पर हार या जीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
 
* नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता, नफरत को केवल प्यार ही मिटा सकता है।
 
* तीन चीज़ें लंबे समय तक छिप नहीं सकतीं, सूर्य, चंद्रमा, और सत्य।
 
* आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्श्या कीजिये। जो दूसरों से इर्श्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
 
* शांति भीतर से आती है, बाहर इसकी तलाश करन व्यर्थ है।
 
* हम अपने विचारों का ही परिणाम हैं। मन ही सब कुछ है। जो हम सोचते हैं हम वही बन जाते हैं।
 
* स्वयं को जीतना दूसरों को जीतने से ज्यादा मुश्किल काम है।
 
* अपने शरीर को स्वस्थ रखना आपका कर्तव्य है वर्ना आप अपने मन को मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।
 
* अगर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए आपको कोई साथी नहीं मिलता है, तो अकेले ही चलिए।
 
* अपना मन अच्छे कार्यों को करने में लगाएं, इसे बार-बार करें। और आप देखेंगे कि आप खुशी से भर जाएंगे।
 
* एक समझदार व्यक्ति अपने भहतर की कमियों को उसी प्रकार से दूर कर लेता है, जिस तरह से एक सुनार चांदी की अशुद्धियों को, चुन-चुन कर, थोड़ा-थोड़ा करके और इस प्रक्रिया को बार-बार दोहरा कर दूर करता है।
 
* यह सोचना अत्यंत हास्यास्पद है कि कोई दूसरा व्यक्ति आपको खुश या दु:खी कर सकता है।
 
* गुस्से को अपने भीतर रखना ऐसा ही है जैसे आप जहर तो खुद पियें और किसी दूसरे आदमी के मरने की उम्मीद करें।
 
* जिस व्यक्ति के विचार मैले हैं जो लापरवाह है और धोखे से भरा हुआ है, वह गेरुआ वस्त्र कैसे पहन सकता है? वह व्यक्ति जिसने खुद पर नियंत्रण हासिल कर लिया है, ओजस्वी है, स्पष्ट है, सच्चा है, वही गेरुआ वस्त्र पहनने के लायक है।
 
* हम जो शब्द बोलते हैं उनका चुनाव हमें बड़ी सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि उन शब्दों को सुनने वाले व्यक्तियों पर उनका प्रभाव पड़ता है फिर चाहे वह प्रभाव अच्छा हो अथवा बुरा।
 
* कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा बोलते रहने से कुछ नहीं सीख पाता, समझदार व्यक्ति वही कहलाता है जोकि धीरज रखने वाला, क्रोधित न होने वाला और निडर होता है।
 
* आप सिर्फ उसे ही खोते हैं जिससे आप चिपके रहते हैं।
 
* एक मोमबत्ती हजारों मोमबत्तियों को रौशन कर सकती है, और फिर भी उस मोमबत्ती की उम्र कम नहीं होती। उसी तरह से खुशियां भी बांटने से भी कम नहीं होती हैं।
 
* जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है।
 
* बीते हुए कल को जाने दीजिये, भविष्य को जाने दीजिये, वर्तमान को भी जाने दीजिये, और अपने अस्तित्व की सीमाओं से बाहर झाँक कर देखिये। जब आपका मन पूरी तरह आजाद होता है, तो आप जीवन-मृत्यु को उसके सही स्वरूप में देख पाते हैं।
 
* शांतिप्रिय लोग आनंद से जीवन जीते हैं और उन पर हार या जीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
 
* हजार लड़ाई जीतने से अच्छा है अपने आप को जीतना। फिर जीत तुम्हारी है, इसे तुमसे कोई नहीं ले सकता न ही स्वर्गदूतों द्वारा न ही राक्षसों द्वारा, न ही स्वर्ग या नरक में।
 
* अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिये, मूर्खो के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।
 
* जो व्यक्ति स्वयं से सच्चा प्यार करता है, वह कभी दूसरे व्यक्ति को चोट नहीं पहुंचाता है।
 
* देखते समय सिर्फ देखें, सुनते समय केवल सुनें, महसूस करते समय सिर्फ महसूस करें और सोचते समय केवल सोचें। यही वास्तविक कर्म है।
 
* कोई भी व्यक्ति सिर मुंडवाने से, या फिर उसके परिवार से, या फिर एक जाति में जनम लेने से संत नहीं बन जाता; जिस व्यक्ति में सच्चाई और विवेक होता है, वही धन्य है, वही संत है।
 
* बीता हुआ समय बीत चुका है, भविष्य अभी दूर है, वर्तमान पल ही वह समय है जिसमें आप जी सकते हैं।
 
* दुनिया हमेशा से प्रशंसा करने और दोष निकालने का रास्ता ढूंढती आई है यही होता आया है और यही होता रहेगा।
 
* अगर आपको मेरी तरह बांटने की शक्ति के बारे में पता होता तो आप कभी भी बिना बांटे हुए भोजन नहीं करते।
 
* अगर कोई काम करने लायक है, तो उसे पूरे मन से करो। तभी उसमें सफलता प्राप्त होगी।
 
* जिस तरह से लापरवाह रहने पर, घास जैसी नरम चीज की धार भी हाथ को घायल कर सकती है, उसी तरह से धर्म के असली स्वरूप को पहचानने में हुई गलती आपको नरक के दरवाजे पर पहुंचा सकती है।
 
* घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़त्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
 
* असली समस्या यह है कि आपको लगता है कि फलां काम को करने के लिए अभी आपके पास बहुत समय है।
 
* अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है. परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो।
 
* ज्ञानी व्यक्ति कभी नहीं मरते और जो नासमझ हैं, वे तो पहले से ही मरे हुए हैं।
 
* पूरी दुनिया में इतना अंधेरा नहीं है कि वह एक मोमबत्ती की रौशनी को मिटा सके।
 
* अगर आपकी दिशा सही है, तो फिर चिंता की बात नहीं। आपको बस इतना करना है कि आप चलते रहें।
 
* एक वफादार, गुणी, प्रतिष्ठित और धनी व्यक्ति जो भी जगह चुनता है, वहां उसका सम्मान किया जाता है।
 
* दर्द तो तय है, यह आपके हाथ में नहीं है। हां, दुखी होना या न होना आपके हाथ में अवश्य है।
 
* एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है, सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा प्रतीत होता है।
 
* अंत में यही चीज सबसे ज्यादा मायने रखती है कि आपने कितनी अच्छी तरह से प्रेम किया, अपने जीवन को कितना भरपूर जिया और आपने कितनी गहराई से लोगों की त्रुटियों को माफ किया।
 
* आप चाहे कितने ही पवित्र शब्द पढ़ लें आप चाहे कितने ही पवित्र शब्द बोल लें, लेकिन जब तक आप उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारते उनका कोई लाभ नहीं है।
 
* संसार में कोई भी चीज कभी भी अकेले मौजूद नहीं होती, हर एक चीज का संबंध तमाम दूसरी चीजों से होता है।
 
* आप चाहे कितने ही पवित्र शब्द पढ़ लें आप चाहे कितने ही पवित्र शब्द बोल लें, लेकिन जब तक आप उन्हें अपने जीवन में नहीं उतारते उनका कोई लाभ नहीं है।
 
* जीवन की यात्रा में विश्वास आपको पोषण देता है, अच्छे काम एक घर की तरह हैं, ज्ञान दिन की रोशनी की तरह है और सजगता आपको सुरक्षा देती है। यदि मनुष्य शुद्ध जीवन जीता है, तो कोई चीज उसे नष्ट नहीं कर सकती है।
 
* किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, क्योंकि जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है।
 
* सभी व्यक्तियों को मौत से डर लगता है, सभी सजा से डरते हैं। इसलिए बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें।
==संदर्भ==
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