"भारतेंदु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

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: बुध तजहि मत्सर, '''नारि नर सम होंहि''', जग आनंद लहै।
: तजि ग्राम कविता, सुकविजन की अमृतवानी सब कहै॥ (कविवचनसुधा के प्रवेशांक में भारतेन्दु द्वारा अपने आदर्श की घोषणा)
 
: जो हरि सोई राधिका जो शिव सोई शक्ति ।
: जो नारि सोई पुरुष या में कुछ न विभक्ति ॥ (बालाबोधिनी के मुखपृष्ठ पर)