"कार्ल मार्क्स": अवतरणों में अंतर

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* सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।
* इतिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह, दुसरे एक मज़ाक की तरह।
 
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* धर्म का अंत होना ही लोगों की खुशी के लिए पहली आवश्यकता है।
 
* लोग क्या सोचेंगे , ये सोचकर अपने जूनून को मत छोड़ो ।
 
* मजदूरों के पास अपनी जंजीरों के अलावा खोने को कुछ और नहीं है और उनके पास जीतने को पूरी दुनिया है ।
 
* समय सबकुछ है , इंसान कुछ भी नहीं ।
 
* धर्म जनता के लिए अफीम की तरह है ।
 
* पूँजी मृतश्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है ,और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों का खून चूसता है ।
 
* दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ , तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के ।
 
* सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले सम्मान से मापी जा सकती है ।
 
* नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर फेर करने की वस्तु है।
 
* इतिहास कुछ भी नही करता।उसके पास आपार धन नहीं होता, वे लड़ाइयांं नही लड़ता।वो तो इंसान है , वास्तविक , जीवित , जो ये सब करते हैं।
 
* अगर कोई चीज निश्चित है तो वे कि मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूँ।
 
* आजादी जरुरत की चेतना होती है , वह तब तक अंधी रहती है जब तक उसे होश न आ जाये।
 
* बड़ी मात्रा में उपयोग की चीजों का उत्पादन का परिणाम बहुत सारे बेकर लोग होते हैं ।
 
* अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते है ,लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते।
 
* बिना किसी शक के मशीनों ने सम्रद्ध आलसियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ा दी है ।
 
* बिना उपयोग की वस्तु हुए किसी चीज की कीमत नहींं हो सकती।
 
* चिकित्सा संदेह तथा बीमारी को भी ठीक करती है ।
 
* इतिहास खुद को दोहराता है , पहले एक त्रासदी की तरह , फिर एक मजाक की तरह।
 
* जीने और लिखने के लिए लेखक को पैसा कमाना चाहिए , लेकिन किसी भी सूरत में उसे पैसा कमाने के लिए जिना और लिखना नहीं चाहिए।
 
* लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है ।
 
* यूरोप को एक काली छाया सता रही है , साम्यवाद की छाया ।
 
* क्षण लाभ के तत्व है ।
 
* सामाजिक प्रगति को महिलाओं की सामाजिक स्थिति से मापा जा सकता है ।
 
* वैज्ञानिक आलोचना पर आधारित प्रत्येक राय का मैं स्वागत करता हूँ।
 
* अज्ञान ने अभी तक कभी किसी की मदद नहीं की।
 
* प्रत्येक से उनकी क्षमता के अनुसार , प्रत्येक को उनकी आवश्यकता के अनुसार।
 
* दार्शनिकों ने संसार की केवल विभिन्न प्रकार से व्याख्या की है।हालांकि बात इसे बदलने की है।
 
* क्रांतियां इतिहास के इंजन है।
 
* इतिहास खुद को दोहराता है , पहले त्रासदी के रूप में दूसरे तमाशे के रूप में।
 
* पुरूष अपना इतिहास खुद बनाते हैं, लेकिन वे इसे वैसा नहीं बनाते जैसा वे चाहते हैं।
 
* नरक का मार्ग अच्छे इरादे से तैयार किया जाता है।
 
==कविता==