"श्रीराम शर्मा": अवतरणों में अंतर

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==मनुष्य-जीवन पर==
* जीवन का अर्थ है, '''समय'''। जो जीवन से अधिक प्यार करते हों, वे व्यर्थ में एक क्षण न गवाएँ।
 
* यदि विचार बदल जाएँगें तो कार्यों का बदलना सुनिश्चित है। कार्य बदलने पर भी विचारों का न बदलना सम्भव है, पर विचार बदल जाने पर उनसे विपरीत कार्य देर तक नहीं होते रह सकते। विचार बीज हैं, कार्य अंंकुर..विचार पिता हैं, कार्य पुत्र। इसलिए जीवन परिवर्तन का कार्य विचार परिवर्तन से आरम्भ होता है। जीवन-निर्माण का, आत्म-निर्माण का अर्थ है—‘विचार-निर्माण’।
 
* युग निर्माण का सत्संकल्प नित्य दुहराना चाहिए। मानव-जीवन का आदर्श, कर्तव्य, धर्म और सदाचार का इस संकल्प मंत्र में भावनापूर्वक समावेश हुआ है। इसका पाठ करना किसी धर्म ग्रन्थ के पाठ से कम प्रेरणा और पुण्यफल प्रदान करने वाला नहीं है।
 
* मनुष्य को सफल बनने के लिए पहले अपने विचारों को बदलना पड़ेगा।