"सुविचार सागर": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १:
* ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय । <Br /> औरन को शीतल करै , आपहुं शीतल होय ॥
* बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग- शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। <Br /> -[[स्वामी रामदेव]]▼
* पोथी पढ़ि - पढ़ि जग मुआ, पंडित हुआ न कोय।<Br /> ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पण्डित होय।।
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बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।<Br/>
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
▲* बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग- शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। <Br /> -[[स्वामी रामदेव]]
* आर्थिक युद्ध में किसी राष्ट्र को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी मुद्रा को खोटा कर देना और किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है, उसकी भाषा को हीन बना देना ।
पंक्ति ७२:
* हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और यदि मुझसे भारत के लिए एक मात्र भाषा का नाम लेने को कहा जाए तो वह निश्चित रूप से हिंदी ही है। — कामराज
* कोई भी राष्ट्र अपनी भाषा को छोड़कर राष्ट्र नहीं कहला सकता।
* कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है,
* दूब की तरह छोटे बनकर रहो। जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है। <Br /> – गुरु नानक देव
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* स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥
:अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता
[[श्रेणी:हिन्दी लोकोक्तियाँ]]
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