"श्रीराम शर्मा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति ५५:
 
* भारत के सभी महापुरुष, भगवान राम, कृष्ण, सभी ऋषि-मुनियों ने, अवतारी पुरुषो ने गायत्री मंत्र का जप किया है।
 
==मनुष्य-जीवन पर==
* असफलता का मतलब है कि जितना अभ्यास, मेहनत और समय आपको उस काम को देना था, उतना काम आपने नहीं किया।
 
* मनुष्य जन्म सिर्फ पेट भरने और बच्चा पैदा करने के लिए नही हुआ है।
 
* सादा जीवन : उच्च विचार ।
 
* मनुष्य अपने भाग्य निर्माता स्वंय हैं।
 
* अगर किसी को उपहार देना ही है तो हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला उपहार दो।
 
* मनुष्य की पहचान उसके सत्कर्मो और अच्छे विचारों से होगी।
 
* नर-नारी में कोई भेदभाव नही करेंगे।
 
* एक स्वस्थ युवा ही सबल राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
 
* नशा मनुष्य और समाज दोनों को बर्बाद के देता है।
 
* मनुष्य को सफल बनने के लिए पहले अपने विचारों को बदलना पड़ेगा।
 
* मेरा स्मारक बनाने के बदले जीवन में एक पेड़ लगा देना।
 
* हर गाँव आदर्श गांव हो, हर आदमी आत्मनिर्भर बने।
 
* भूख से कम भोजन खाये । मतलब रोज चार रोटी खाते हो तो तीन ही खाये। क्योंकि ज्यादा भोजन करने से शक्ति नहीं मिलती हैं। जो भोजन अच्छी तरह पच कर रस बन जाता है, वही काम आता है।
 
* प्रतिदिन एक घंटा श्रमदान जरूर करें।
 
* गपशप नही करे। जप-तप करें।
 
* अगर व्यक्ति जीभ और कामुकता पर नियंत्रण कर लें, तो उसकी नब्बे प्रतिशत समस्याएँ स्वतः खत्म हो जायेंगी।
 
==स्वास्थ्य पर==