"भगवद्गीता": अवतरणों में अंतर

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==अध्याय 1(अर्जुन-हमेशा योग )==
[[File:Gita11-32.JPG|thumb|right]]
* धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।</br>मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥
** '' धर्मकतेरे कुरुकेत्रे समवेता युयुत्सव अम्ब्र्बु + मम्मक पाववśकैव किमकुर्वता सञ्जय ''
 
{{c|''' अर्थात् '''}}
धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित,। युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया ? ॥ १ ॥
 
धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित,। युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया ? ॥ १ ॥॥१॥
**** [[धृतराष्ट्र]]; अध्याय 1, कविता 1; [[रॉबर्ट चार्ल्स ज़ेहनर]][http://books.google.com/books?id=nY6PRhqdlJsC&lpg=PP1&dq=bhagavad%20gita%20Robert%20Charles%20Zaehner&pg=PR5#v=onepage&q=bhagavad%20gita%20Robert%20Charles%20Zaehner&f=false अनुवाद ]
* [[अब]] सेनाओं को देखते हुए [[w: पांडवों | पांडवों]] को युद्ध में खड़ा करके <br> <br> <br> [[w: दुर्योधन | राजा दुर्योधन]], अपने निकट आ रहा है [शिक्षक युद्ध का गठन