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पंक्ति ९३:
दूदन ब्यारी जो करें, तिन घर वैद्य न जॉय।
*निन्नें पानी जो पियें, भूंज हर्र नित खांय।दूध ब्यारी जे करें, उन पर बैध न जांय।
नाच न जाने आँगन टेडा (अपनी अयोग्यता पर दूसरो को दोष)
===प===
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