"सुविचार सागर": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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पंक्ति ६७:
* हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और यदि मुझसे भारत के लिए एक मात्र भाषा का नाम लेने को कहा जाए तो वह निश्चित रूप से हिंदी ही है।<Br /> — कामराज
* कोई भी राष्ट्र अपनी भाषा को छोड़कर राष्ट्र नहीं कहला सकता|~थामस डेविस▼
* हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और यदि मुझसे भारत के लिए एक मात्र भाषा का नाम लेने को कहा जाए तो वह निश्चित रूप से हिंदी ही है।☃☃↵— कामराज ▼
— थोमस डेविस▼
▲* हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है और यदि मुझसे भारत के लिए एक मात्र भाषा का नाम लेने को कहा जाए तो वह निश्चित रूप से हिंदी ही
* कर्म भूमि पर फ़ल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है,<Br /> रब सिर्फ़ लकीरें देता है रंग हमको भरना पड़ता है।▼
▲— थोमस डेविस
▲* कर्म भूमि पर
* दूब की तरह छोटे बनकर रहो। जब घास-पात जल जाते हैं तब भी दूब जस की तस बनी रहती है। <Br /> – गुरु नानक देव
पंक्ति ८२:
* मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। <Br /> - महात्मा गांधी
* अत्यंत साधारण छात्र भी दृढ संकल्प करें और सही दिशा में निरन्तर परिश्रम करते रहे तो उनका लक्ष्य दूर नहीं रह सकता|▼
* नियमित रुप से परिश्रम किया जाय तो मंद बुद्वि वाला भी जीवन में बहुत आगे निकल सकता है|<Br />▼
▲* अत्यंत साधारण छात्र भी दृढ संकल्प करें और सही दिशा में निरन्तर परिश्रम करते रहे तो उनका लक्ष्य दूर नहीं रह
* स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥ अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता है। चाहे आप उसे कितनी भी सलाह दे दो. ठीक उसी तरह जैसे पानी तभी गर्म होता है, जब उसे उबाला जाता है। लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर ठंडा हो जाता है।▼
* स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥
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[[श्रेणी:हिन्दी लोकोक्तियाँ]]
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