"गौतम बुद्ध": अवतरणों में अंतर

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==उक्तियाँ==
===आत्मोत्थान===
 
* जब महात्मा बुद्व से उनके एक शिष्य ने प्रश्न किया कि उनके प्रति सकारात्मक दृष्टि किस प्रकार हो,जो हमारे प्रति दर्भावना रखते हैं,तब बुद्वदेव ने जो उत्तर दिया था,वह स्मरणीय हैं- यदि तुम उस दुर्भावना को स्वीकार नहीं करोगे,जो अन्य व्यक्ति तुम्हारे प्रति भेजता हैं,तो वह दुर्भावना उसी व्यक्ति के पास बनी रहती है और तुम अप्रभावित बने रहे हो
*हम जो सोचते है वो हम हैं।<br>हम जो कुछ हैं वह हमारे विचारों से ही उत्पन्न होता है।<br>अपने विचारों से हम सन्सार बनाते हैं।