"मोहनदास करमचंद गांधी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ५५:
(महात्मा, भाग ४ के पृष्ठ १५८)
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आपकी समस्त विद्वत्ता, आपका शेक्सपियर और वडर््सवर्थवड्सवर्थ का संपूर्ण अध्ययन निरर्थक है यदि आप अपने चरित्र का निर्माण व विचारों क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। <br>
(महात्मा, भाग २ के पृष्ठ ३७६)
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