"गौतम बुद्ध": अवतरणों में अंतर

छो Reverted 1 edit by Vinay Kapoor (talk): Spamming revert. (TW)
No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति ३:
 
==उक्तियाँ==
* जब महात्मा बुद्व से उनके एक शिष्य ने प्रश्न किया कि उनके प्रति सकारात्मक दृष्टि किस प्रकार हो,जो हमारे प्रति दर्भावना रखते हैं,तब बुद्वदेव ने जो उत्तर दिया था,वह स्मरणीय हैं- यदि तुम उस दुर्भावना को स्वीकार नहीं करोगे,जो अन्य व्यक्ति तुम्हारे प्रति भेजता हैं,तो वह दुर्भावना उसी व्यक्ति के पास बनी रहती है और तुम अप्रभावित बने रहे हो
* हम जो सोचते है वो हम हैं।<br>हम जो कुछ हैं वह हमारे विचारों से ही उत्पन्न होता है।<br>अपने विचारों से हम सन्सार बनाते हैं।
** '''[[:w:धम्मपद|धम्मपद]]'''
 
*कोई अन्य नहीं बल्कि हम स्वयं को बचाते हैं, कोई भी हमें बचा नहीं सकता और चाहिए भी नहीं। हमें पथ पर स्वयं चलना चाहिए और बुद्ध हमें मार्ग दिखाते हैं।