"घाघ की कहावतें": अवतरणों में अंतर
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आज के समय में टीवी व रेडियो पर मौसम संबंधी जानकारी मिल जाती है। लेकिन सदियों पहले न टीवी-रेडियो थे, न सरकारी मौसम विभाग। ऐसे समय में महान किसान कवि घाघ व भड्डरी की कहावतें खेतिहर समाज का पीढि़यों से पथप्रदर्शन करते आयी हैं। बिहार व उत्तरप्रदेश के गांवों में ये कहावतें आज भी काफी लोकप्रिय हैं। जहां वैज्ञानिकों के मौसम संबंधी अनुमान भी गलत हो जाते हैं, ग्रामीणों की धारणा है कि '''[[घाघ]] की कहावतें''' प्राय: सत्य साबित होती हैं।
==सुकाल==
सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर।<br>
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==वाह्य सूत्रघाघ भड.री पथ अथय=
*[http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%98
[[श्रेणी:हिन्दी लोकोक्तियाँ]
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