"कहावतें": अवतरणों में अंतर

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*जैसे उदई, तैसेई भान, न उनके चुटिया, न उनके कान। (इसका अर्थ इस रूप में लगाया जाता है जब किसी भी काम को करने के लिए एक जैसे स्वभाव के लोग मिल जायें और काम उनके कारण बिगड़ जाये।)
* जब उठें धुआंधारे, तब आंय नदिया नारे।
*जेठ बदी दसमीं दिनां, जो शनिवासर होई।होई।पानी रहे न धरनी पै, विरला जीवै कोई।
पानी रहे न धरनी पै, विरला जीवै कोई।
 
===झ===