"अटल बिहारी वाजपेयी": अवतरणों में अंतर
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आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
कौन जानता किधर सवेरा
अंधियारा आकाश असीमित,प्राणों के पंखों को तौलें!
अपने ही मन से कुछ बोलें!
==बाह्य सूत्र==
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