"शोले": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो added Category:भारतीय फ़िल्में using HotCat |
रूप ठीक किया। |
||
पंक्ति २:
:''निर्देशक - [[w:रमेश सिप्पी|रमेश सिप्पी]], लेखक - [[w:सलीम ख़ान|सलीम]]-[[w:जावेद अख़्तर|जावेद]]।
==
===गब्बर===
* ये हाथ हमको दे दे, ठाकुर।
* गब्बर के ताप से तुम्हें एक ही आदमी बचा सकता है।.. खुद गब्बर।
===जय===
* तुम्हारा नाम क्या है, बसंती?
===जेलर===
* आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ।
* हम अंग्रेर्जों के जमाने के जेलर है! ह हा।
Line १५ ⟶ १६:
* हमारे जेल में पिस्तौल?
===ठाकुर===
* ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा है, गब्बर।
===बसंती===
* भाग धन्नो भाग! आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है।
* यूँ तो हमें ज्यादा बोलने कि आदत तो है नहीं।
* क्योंकि… ये कौन बोला?
===वीरू===
* बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना।
===रहीम चाचा===▼
*इतना सन्नाटा क्यों है, भाई?▼
===सूरमा भोपाली===▼
* ऐसे कैसे पैसे मांग रिये हो।▼
* जो डर गया समझो मर गया।▼
==संवाद==
Line ३८ ⟶ ४८:
:'''गब्बर''': (खुद से) छ:? (ऊँचे स्वर में) '''छः गोली'''... छः गोली है इसके अंदर... छः गोली और आदमी तीन... बहुत नाइंसाफी है ये।
:(तीन गोली हवा में उडा देता है) अब ठीक है। हाँ अब ठीक है... अब इसके तीन ख़ानों में गोली है, तीन खाली... अब हम इसको घुमाएगें... अब कहाँ गोली है कहाँ नहीं?... हमको नहीं पता... हमको कुछ नहीं पता। इस पिस्तौल में तीन ज़िंदगी तीन मौत बंद है... देखें किसे क्या मिलता है? <br />(पहले आदमी की तरफ जा कर उसके सिर पर पिस्तौल चलाता है लेकिन गोली नहीं चलती) बच गया साला...<br />(दूसरे के सिर पे पिस्तौल चलाता है, वह भी बच जाता है) ये भी बच गया...<br />(तीसरे की ओर जाकर) अब तेरा क्या होगा कालिया?
▲==रहीम चाचा==
▲*इतना सन्नाटा क्यों है, भाई?
▲==सूरमा भोपाली==
▲* ऐसे कैसे पैसे मांग रिये हो।
▲==प्रचार वाक्य==
▲* जो डर गया समझो मर गया।
==बाह्य सूत्र==
|