"भारतेंदु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

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==काव्यकृतियाँ==
== काव्यकृतियां ==
 
=== भक्तसर्वस्व ===
=== प्रेममालिका (१८७१) ===
=== प्रेम माधुरी (१८७५) ===
=== प्रेम-तरंग (१८७७) ===
=== उत्तरार्द्ध भक्तमाल (१८७६-७७) ===
=== प्रेम-प्रलाप (१८७७) ===
=== होली (१८७९) ===
=== मधुमुकुल (१८८१) ===
=== राग-संग्रह (१८८०) ===
=== वर्षा-विनोद (१८८०) ===
=== विनय प्रेम पचासा (१८८१) ===
=== फूलों का गुच्छा (१८८२) ===
=== प्रेम फुलवारी (१८८३) ===
=== कृष्णचरित्र (१८८३) ===
=== दानलीला ===
=== तन्मय लीला ===
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=== [[ नये ज़माने की मुकरी ]] ===
<big>नये जमाने की मुकरी</big>
 
<big> जब सभाविलास संगृहित हुई थी, तब वैसा ही काल था कि (क्यौं सखि सज्जन ना सखि पंखा) इस चाल की मुकरी लोग पढ़ते-पढ़ाते थे किन्तु अब काल बदल गया तो उसके साथ मुकरियाँ भी बदल गईं । बानगी दस पाँच देखिए--</big>
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<big>नये जमाने की मुकरी</big>
 
 
<big> जब सभाविलास संगृहित हुई थी, तब वैसा ही काल था कि (क्यौं सखि सज्जन ना सखि पंखा) इस चाल की मुकरी लोग पढ़ते-पढ़ाते थे किन्तु अब काल बदल गया तो उसके साथ मुकरियाँ भी बदल गईं । बानगी दस पाँच देखिए--</big>
 
 
 
 
<big>सब गुरुजन को बुरो बतावै ।
 
अपनी खिचड़ी अलग पकावै ।।
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भीतर तत्व न झूठी तेजी ।
 
क्यों सखि सज्जन नहिं अँगरेजी ।। </big>
 
 
 
<big>तीन बुलाए तेरह आवैं ।
 
निज निज बिपता रोइ सुनावैं ।।
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आँखौ फूटे भरा न पेट ।
 
क्यों सखि सज्जन नहिं ग्रैजुएट ।। </big>