"जार्ज बर्नार्ड शा": अवतरणों में अंतर
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==सूक्ति==
* तुम चीजें देखते हो ; और कहते हो, ‘क्यों ?’ लेकिन मैं उन चीजों के सपने देखता हूँ जो कभी थीं ही नहीं; और मैं कहता हूँ ‘क्यों नहीं ?’
* किसी पुरुष या महिला के पालन-पोषण की आज़माइश तो एक झगड़े में उनके बर्ताव से होती
* आह, बाघ आपसे प्रेम करेगा। खाने के प्रति प्रेम से सच्चा कोई प्रेम नहीं है।
* सफलता कभी गलती ना करने में निहित नहीं होती बल्कि एक ही गलती दोबारा ना करने में निहित होती है।
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