"तेनजिन ग्यात्सो": अवतरणों में अंतर

छो →‎दलाई लामा अनमोल विचार(Dalai Lama): replace है.-->है।, replaced: है. → है। (3) AWB के साथ
पंक्ति १६:
* हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।
 
* प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है.येहै।ये आप ही के कर्मों से आती है।
 
* यदि आप दूसरों को प्रसन्न देखना चाहते हैं तो करुणा का भाव रखें. यदि आप स्वयम प्रसन्न रहना चाहते हैं तो भी करुणा का भाव रखें।
पंक्ति ३७:
* जब कभी संभव हो दयालु बने, और ये हमेशा संभव है।
 
* पुराने दोस्त छूटते हैं और नए दोस्त बनते हैं. यह दिनों की तरह ही है.है। एक पुराना दिन बीतता है तो एक नया दिन आता है.है। लेकिन जरुरी है उसे सार्थक बनाना चाहे वह एक सार्थक मित्र हो या सार्थक दिन।
 
* प्रसन्न रहना हमारे जीवन का उद्देश्य है।