"मोहनदास करमचंद गांधी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २७५:
(महात्मा, भाग २ के पृष्ठ ८४)
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थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है.है।
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पूर्ण धारणा के साथ बोला गया "नहीं" सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है.है।
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पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है.है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी.
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मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ.
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जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है.है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है.है। इसके बारे में सोचो- हमेशा.
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उपदेश करने से पहले खुद के गुण देखने चाहिए.
पंक्ति २८९:
सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है।
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जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है.है।
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