"सुभाषित सहस्र": अवतरणों में अंतर

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<P>इंटरनेट के उपयोक्ता वांछित डाटा को शीघ्रता से और तेज़ी से प्राप्त करना चाहते
हैं. उन्हें आकर्षक डिज़ाइनों तथा सुंदर साइटों से बहुधा कोई मतलब नहीं होता
है.है।<BR>-– टिम बर्नर्स ली (इंटरनेट के सृजक)</P>
<P>कम्प्यूटर कभी भी कमेटियों का विकल्प नहीं बन सकते. चूंकि कमेटियाँ ही कम्प्यूटर
खरीदने का प्रस्ताव स्वीकृत करती हैं.<BR>-– एडवर्ड शेफर्ड मीडस</P>
पंक्ति १२१:
सकती है ।<BR>— जार्ज ओर्वेल </P>
<P>शिकायत करने की अपनी गहरी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए ही मनुष्य ने भाषा
ईजाद की है.है।<BR>-– लिली टॉमलिन</P>
<P>श्रीकृष्ण ऐसी बात बोले जिसके शब्द और अर्थ परस्पर नपे-तुले रहे और इसके बाद चुप
हो गए। वस्तुतः बड़े लोगों का यह स्वभाव ही है कि वे मितभाषी हुआ करते हैं।<BR>-
पंक्ति २२२:
<P>किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |<BR>-–
एरमा बॉम्बेक</P>
<P>हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है.है। दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे
अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.है।</P>
<P>कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।<BR>अगर थोडी सी हिम्मत हो तो
क्या हो सकता नहीं ॥<BR>— चकबस्त</P>
पंक्ति २७९:
<P><STRONG></STRONG>&nbsp;</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>अनुभव / अभ्यास</FONT> </STRONG></P>
<P>बिना अनुभव कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है.है।</P>
<P>करत करत अभ्यास के जड़ मति होंहिं सुजान।<BR>रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं
निशान।।<BR>— रहीम</P>
पंक्ति ३१९:
<P>मैं सफलता के लिए इंतजार नहीं कर सकता था, अतएव उसके बगैर ही मैं आगे बढ़
चला.<BR>-– जोनाथन विंटर्स</P>
<P>हार का स्‍वाद मालूम हो तो जीत हमेशा मीठी लगती है.है।<BR>— माल्‍कम फोर्बस</P>
<P>हम सफल होने को पैदा हुए हैं, फेल होने के लिये नही .<BR>— हेनरी डेविड</P>
<P>पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्‍ते होते हैं लेकिन व्‍यू सब जगह से एक सा
पंक्ति ४७९:
भी कोई सीमा नही है।<BR>— रोनाल्ड रीगन </P>
<P>अगर चाहते सुख समृद्धि, रोको जनसंख्या वृद्धि.</P>
<P>नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.है।</P>
<P>भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी
लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना
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)</P>
<P>समयनिष्ठ होने पर समस्या यह हो जाती है कि इसका आनंद अकसर आपको अकेले लेना पड़ता
है.है।<BR>-– एनॉन</P>
<P>ऐसी घडी नहीं बन सकती जो गुजरे हुए घण्टे को फिर से बजा दे ।<BR>— प्रेमचन्द</P>
<P>&nbsp;</P>
पंक्ति १,०३६:
“भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ” – मुहम्मद
अली</P>
<P>कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है.है। आलस्य से वर्तमान |<BR>-– स्टीवन राइट</P>
<P>आराम हराम है.है।</P>
<P>चींटी से परिश्रम करना सीखें |<BR>— अज्ञात</P>
<P>चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है।<BR>-
पंक्ति १,१७४:
<P>बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका
मुंह बन्द करना ही अच्छा है |<BR>– शेख सादी</P>
<P>महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है.है।</P>
<P>भरे बादल और फले वृक्ष नीचे झुकरे है , सज्जन ज्ञान और धन पाकर विनम्र बनते
हैं.</P>
पंक्ति १,२२८:
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>आशा / निराशा / आशावाद / निराशावाद</FONT></STRONG>
</P>
<P>अरूणोदय के पूर्व सदैव घनघोर अंधकार होता है.है।</P>
<P>नर हो न निराश करो मन को ।<BR>कुछ काम करो , कुछ काम करो ।<BR>जग में रहकर कुछ
नाम करो ॥<BR>— मैथिलीशरण गुप्त</P>
पंक्ति १,२५४:
<P>&nbsp;</P>
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>सम्भव / असम्भव / कठिन / सरल</FONT></STRONG></P>
<P>हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है.है।</P>
<P>जो आपको कल कर देना चाहिए था, वही संसार का सबसे कठिन कार्य है |<BR>–
कन्फ्यूशियस</P>
पंक्ति १,३६९:
<P>अगर आपने को धनवान अनुभव करना चाहते है तो वे सब चीजें गिन डालो जो तुम्हारे पास
हैं और जिनको पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।</P>
<P>हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है.है।</P>
<P>सम्पूर्णता (परफ़ेक्शन) के नाम पर घबराइए नहीं | आप उसे कभी भी नहीं पा सकते
|<BR>-– सल्वाडोर डाली</P>
पंक्ति १,३७८:
सोचकर.<BR>-– जेफरसन</P>
<P>यदि आप जानना चाहते हैं कि ईश्वर रुपए-पैसे के बारे में क्या सोचता होगा, तो बस
आप ऐसे लोगों को देखें, जिन्हें ईश्वर ने खूब दिया है.है।<BR>-– डोरोथी पार्कर</P>
<P>जो भी प्रतिभा आपके पास है उसका इस्तेमाल करें. जंगल में नीरवता होती यदि सबसे
अच्छा गीत सुनाने वाली चिड़िया को ही चहचहाने की अनुमति होती.<BR>-– हेनरी वान
डायक</P>
<P>जन्म के बाद मृत्यु, उत्थान के बाद पतन, संयोग के बाद वियोग, संचय के बाद क्षय
निश्चित है.है। ज्ञानी इन बातों का ज्ञान कर हर्ष और शोक के वशीभूत नहीं होते |<BR>–
महाभारत</P>
<P>क्रोध सदैव मूर्खता से प्रारंभ होता है और पश्चाताप पर समाप्त.</P>
पंक्ति १,४५८:
<P>टेलिविज़न पर जिधर देखो कॉमेडी की धूम मची है . क्या वह गली मुहल्लों में भी
कॉमेडी भर देगी&nbsp;?<BR>-– डिक कैवेट</P>
<P>मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है.है। बस, निर्णय मेरी पत्नी लेती है |<BR>-– वूडी
एलन</P>
<P>प्यार में सब कुछ भुलाया जा सकता है, सिर्फ दो चीज़ को छोड़कर – ग़रीबी और दाँत
पंक्ति १,४६४:
<P>चूंकि एक राजनीतिज्ञ कभी भी अपने कहे पर विश्वास नहीं करता, उसे आश्चर्य होता है
जब दूसरे उस पर विश्वास करते हैं |<BR>-– चार्ल्स द गाल</P>
<P>जालिम का नामोनिशां मिट जाता है, पर जुल्म रह जाता है.है।</P>
<P>पुरुष से नारी अधिक बुद्धिमती होती है, क्योंकि वह जानती कम है पर समझती अधिक
है.है।</P>
<P>इस संसार में दो तरह के लोग हैं – अच्छे और बुरे. अच्छे लोग अच्छी नींद लेते हैं
और जो बुरे हैं वे जागते रह कर मज़े करते रहते हैं |<BR>-– वूडी एलन</P>
पंक्ति १,४७५:
<P>ईश्वर को धन्यवाद कि आदमी उड़ नहीं सकता. अन्यथा वह आकाश में भी कचरा फैला
देता.<BR>-– हेनरी डेविड थोरे</P>
<P>यदि आप को 100 रूपए बैंक का ऋण चुकाना है तो यह आपका सिरदर्द है.है। और यदि आप को
10 करोड़ रुपए चुकाना है तो यह बैंक का सिरदर्द है.है।<BR>-– पाल गेटी</P>
<P>विकल्पों की अनुपस्थिति मस्तिष्क को बड़ा राहत देती है |<BR>-– हेनरी
किसिंजर</P>
पंक्ति १,४८६:
खुश होना चाहते हैं तो प्यार में पड़ जाएँ. और अगर हमेशा के लिए खुश रहना चाहते हैं
तो बागवानी में लग जाएँ.<BR>-– आर्थर स्मिथ</P>
<P>अत्यंत बुद्धिमती औरत ही अच्छा पति (बना) पाती है.है।<BR>-– बालज़ाक</P>
<P>बिल्ली का व्यवहार तब तक ही सम्मानित रह पाता है जब तक कि कुत्ते का प्रवेश नहीं
हो जाता.</P>
पंक्ति १,५४७:
प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो , मै इसी को सत्य कहता हूँ ।<BR>— वेद
व्यास</P>
<P>सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है.है।</P>
<P>पूरी इमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई
महात्मा नहीं है।<BR>- लिन यूतांग </P>
पंक्ति १,६१९:
सादी</P>
<P>बुद्धिमान किसी का उपहास नहीं करते हैं.</P>
<P>नम्रता सारे गुणों का दृढ़ स्तम्भ है.है।</P>
<P>दूसरों का जो आचरण तुम्हें पसंद नहीं , वैसा आचरण दूसरों के प्रति न करो.</P>
<P>जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया
पंक्ति १,६९३:
<P>क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।<BR>का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी
लात ॥<BR>— रहीम</P>
<P>सबसे उत्तम बदला क्षमा करना है.है।<BR>— रवीन्द्रनाथ ठाकुर</P>
<P>दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है,स्त्रीयों का बल सेवा है और
गुणवानो का बल क्षमा है ।</P>
पंक्ति १,७३४:
<P>दृढ़ निश्चय ही विजय है</P>
<P>जब आपके पास कोई पैसा नहीं होता है तो आपके लिए समस्या होती है भोजन का जुगाड़.
जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है.है। जब आपके पास दोनों
चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है.है। और जब सारी चीज़ें आपके पास
होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है.है।<BR>-– जे पी डोनलेवी</P>
<P>दुनिया में सिर्फ दो सम्पूर्ण व्यक्ति हैं – एक मर चुका है, दूसरा अभी पैदा नहीं
हुआ है.है।</P>
<P>प्रसिद्धि व धन उस समुद्री जल के समान है, जितना ज्यादा हम पीते हैं, उतने ही
प्यासे होते जाते हैं.</P>
पंक्ति १,७९३:
<P>कौन हमदर्द किसका है जहां में अकबर ।<BR>इक उभरता है यहाँ एक के मिट जाने से
॥<BR>— अकबर इलाहाबादी</P>
<P>हथौड़ा कांच को तो तोड़ देता है, परंतु लोहे को रूप देता है.है।</P>
<P>तलवारों तथा बंदूकों की आँखें नहीं होती हैं.</P>
<P>मुट्ठियां बाँध कर आप किसी से हाथ नहीं मिला सकते |<BR>-– इंदिरा गांधी</P>
पंक्ति १,९१६:
<P>सही किताब वह नहीं है जिसे हम पढ़ते हैं – सही किताब वह है जो हमें पढ़ता है
|<BR>— डबल्यू एच ऑदेन</P>
<P>पुस्तक एक बग़ीचा है जिसे जेब में रखा जा सकता है.है।</P>
<P>किताबों को नहीं पढ़ना किताबों को जलाने से बढ़कर अपराध है |<BR>-– रे
ब्रेडबरी</P>
<P>पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है.है।</P>
<P>संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक नहीं होती।<BR>- जॉर्ज बर्नार्ड
शॉ</P>
पंक्ति १,९३१:
<P>स्वाध्यायात मा प्रमद ।<BR>( स्वाध्याय से प्रमाद ( आलस ) मत करो । )</P>
<P>अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता
है.है।</P>
<P>मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की
।<BR>— जोसेफ एडिशन</P>
पंक्ति १,९७२:
<P><STRONG><FONT color=#0000ff>चरित्र</FONT></STRONG></P>
<P>व्यक्तिगत चरित्र समाज की सबसे बडी आशा है ।<BR>— चैनिंग</P>
<P>प्रत्येक मनुष्य में तीन चरित्र होता है.है। एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास
होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है |<BR>– अलफ़ॉसो कार</P>
<P>त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् ।<BR>( स्त्री के चरित्र
पंक्ति २,०८९:
देता ।</P>
<P>बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार.</P>
<P>एक शेर को भी मक्खियों से अपनी रक्षा करनी पड़ती है.है।</P>
<P>अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |<BR>-–
थियोडॉर रूज़वेल्ट</P>
पंक्ति २,०९६:
<P>ईश्वर एक ही समय में सर्वत्र उपस्थित नहीं हो सकता था , अतः उसने ‘मां’
बनाया.</P>
<P>काली मुरग़ी भी सफ़ेद अंडा देती है.है।</P>
<P>वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे. वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.</P>
<P>हाथी कभी भी अपने दाँत को ढोते हुए नहीं थकता.</P>
पंक्ति २,१११:
<P>कभी भी सफाई नहीं दें. आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों
को विश्वास ही नहीं होगा |<BR>-– अलबर्ट हब्बार्ड</P>
<P>कविता में कोई पैसा नहीं है.है। परंतु पैसा में भी तो कविता नहीं है.है।<BR>-– रॉबर्ट
ग्रेव्स</P>
<P>बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा
क्या जा रहा है.है।</P>
<P>तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे
देखेंगी&nbsp;?<BR>— रविंद्रनाथ टैगोर</P>
पंक्ति २,१२०:
माता ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है)</P>
<P>जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है – विवेकानन्द</P>
<P>जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.है।</P>
<P>कबिरा घास न निन्दिये जो पाँवन तर होय।<BR>उड़ि कै परै जो आँख में खरो दुहेलो
होय।।<BR>—-सन्त कबीर</P>