"दयानन्द सरस्वती": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ८०:
आओ इसे सीँचें हम,आओ इसे सीँचें हम
उस सर्वव्यापक ईश्वर को योग द्वारा जान लेने पर हृदय की अविद्यारुपी गांठ कट जाती है, सभी प्रकार के संशय दूर हो जाते है और भविष्य में किये जा सकने वाले पाप कर्म नष्ट हो जाते है अर्थात ईश्वर को जान लेने पर व्यक्ति भविष्य में पाप नहीं करता.
जिसको परमात्मा और जीवात्मा का यथार्थ ज्ञान, जो आलस्य को छोड़कर सदा उद्योगी, सुखदुःखादि का सहन, धर्म का नित्य सेवन करने वाला, जिसको कोई पदार्थ धर्म से छुड़ा कर अधर्म की ओर न खेंच सके वह पण्डित कहाता है.
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://www.gyanipandit.com/swami-dayanand-saraswati-in-hindi/ '''दयानन्द सरस्वती जीवन परिचय''']
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