"स्वामी विवेकानन्द": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १८०:
* कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो. जो देना है वो दो; वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो. – स्वामी विवेकानंद
* धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं . – स्वामी विवेकानंद
==बाह्य सूत्र==
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