"स्वामी विवेकानन्द": अवतरणों में अंतर

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* जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये – आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है।
 
* मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है।
 
* कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो. जो देना है वो दो; वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो. – स्वामी विवेकानंद
 
==बाह्य सूत्र==