"गौतम बुद्ध": अवतरणों में अंतर

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'''गौतम बुद्ध''' (लगभग ५६३ - ४८३ ईपू) एक शिक्षक, और धार्म गुरु थे। "बुद्ध", का अर्थ है "जाग्रत व्यक्ति" या "प्रबुद्ध व्यक्ति", एक पदवी है, नाम नहीं। शाक्यमुनि बुद्ध, जिनका मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, [[बौध धर्म]] के प्रवर्तक थे।
 
==उक्तियाँ==
==सूक्तियां==
* हम जो सोचते है वो हम हैं।<br>हम /जो कुछ हैं वह हमारे विचारों से ही उत्पन्न होता है।<br>अपने विचारों से हम सन्सार बनाते हैं।
** '''धम्म्पद'''
: हम जो कुछ हैं वह हमारे विचारों से ही उत्पन्न होता है।<br />
: अपने विचारों से हम सन्सार बनाते हैं। - ''धम्म्पद''
 
*कोई अन्य नहीं बल्कि हम स्वयं को बचाते हैं, कोई भी हमें बचा नहीं सकता और चाहिए भी नहीं। हमें पथ पर स्वयं चलना चाहिए और बुद्ध हमें मार्ग दिखाते हैं। -
** '''धम्म्पद''', अध्याय १६५''
 
*आरोग्य परम लाभ है, संतुष्टि परम धन है, विश्वास परम बंधु है, निर्वाण परम सुख है।
*हम जो सोचते हैं , वो बन जाते हैं।
*शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है। यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़तम करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है।
*तीन चीजें जादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य।
*तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे।
*वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
*हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
*कोई भी व्यक्ति सिर मुंडवाने से, या फिर उसके परिवार से, या फिर एक जाति में जनम लेने से संत नहीं बन जाता; जिस व्यक्ति में सच्चाई और विवेक होता है, वही धन्य है। वही संत है।
*स्वास्थ्य सबसे महान उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन तथा विश्वसनीयता सबसे अच्छा संबंध है।
*बूंद – बूंद से घड़ा भरता है।
*अपनी मुक्ति के लिए काम करो. दूसरों पर निर्भर मत रहो।
*पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
*अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिये, मूर्खो के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।
 
[[श्रेणी:बौध धर्म]]