"कृष्ण": अवतरणों में अंतर
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Rahul Bott (वार्ता | योगदान) →उक्तियाँ: यह एक ही श्लोक है। |
Rahul Bott (वार्ता | योगदान) →उक्तियाँ: अनुवाद को सही जगह किया |
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पंक्ति २५:
* ''सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्र्द्धा भवति भारत।<br>श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छृद्धः स एव सः।''
**हे अर्जुन! हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति (संस्कारों) के अनुसार होता है। मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। वह जो चाहे बन सकता/सकती है
**'''श्रीमद्भगवद्गीता''' १७:०३
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==बाहरी कडियाँ==
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