"कृष्ण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Rahul Bott (वार्ता | योगदान) छो →उक्तियाँ: formatting |
Rahul Bott (वार्ता | योगदान) छो →उक्तियाँ: bold |
||
पंक्ति १५:
** ''[[w:श्रीमद्भगवद्गीता|श्रीमद्भगवद्गीता]]'' (३.०८)
* '''''श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छृद्धः स एव सः।'''''
**मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
**''श्रीमद्भगवद्गीता'' (१७.०३)
|