"कृष्ण": अवतरणों में अंतर

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** ''[[w:श्रीमद्भगवद्गीता|श्रीमद्भगवद्गीता]]'' (३.०८)
 
* ''श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छृद्धः स एव सः।''
*: मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
** ''श्रीमद्भगवद्गीता'' (१७.०३)
 
* प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं।
* व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
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