"बाल गंगाधर तिलक": अवतरणों में अंतर
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==बाल गंगाधर तिलक==
* स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा !
* हो सकता है ये भगवान की मर्जी हो कि मैं जिस वजह का प्रतिनिधित्व करता हूँ उसे मेरे आजाद रहने से ज्यादा मेरे पीड़ा में होने से अधिक लाभ मिले।
* भूविज्ञानी पृथ्वी का इतिहास वहां से उठाते हैं जहाँ से पुरातत्वविद् इसे छोड़ देते हैं
* धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है।
* भारत की गरीबी पूरी तरह से वर्तमान शासन की वजह से है।
* यदि छुआछूत को मानता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूँगा।
==कविता==
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