"किरण बेदी": अवतरणों में अंतर

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* आचार्संघिता, शालीनता और नैतिकता असली सैनिक हैं।
* वो कितनी बड़ी राष्ट्रीय क्रांति होगी अगर हम्मे से हर कोई खुद को शाशित करने लगे।
* बिना शाशक और शाशित के बीच की दूरी कम किये भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता.|
* मेरे अजेंडे में कुछ भी बाकी नहीं है. मैं जिस दिन जो कुछ कर सकती हूँ करती हूँ. आसान है! अगर मुझे आज मरना होता तो मैं कोई काम बाकी छोड़ कर नहीं मरती.|
 
==कविता==